तेजस्वी यादव का तंज – NDA का मतलब ‘नेशनल दामाद आयोग’, जीतन राम मांझी का पलटवार – ‘पूरा लालू परिवार ही अवसरवादी

बिहार की राजनीति में चुनावी गर्मी तेज होती जा रही है और नेताओं के तीखे बयान अब सीधा-सीधा एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हाल ही में NDA पर निशाना साधते हुए बयान दिया कि “NDA का पूरा मतलब अब ‘नेशनल दामाद आयोग’ हो गया है।” इस कटाक्ष के तुरंत बाद हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के नेता और NDA घटक दल के वरिष्ठ नेता जीतन राम मांझी ने पलटवार करते हुए कहा कि “लालू प्रसाद यादव का पूरा परिवार ही अवसरवादिता की मिसाल है।”


तेजस्वी का वार: दामाद पर तंज या संदेश?

तेजस्वी यादव के इस बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दामाद को लेकर उठे कुछ राजनीतिक विवादों से जोड़कर देखा जा रहा है। उन्होंने यह कहकर NDA पर व्यंग्य कसा कि अब यह गठबंधन सिर्फ ‘दामादों’ की रक्षा करने वाला मंच बन गया है, जनता के मुद्दों से इसका कोई लेना-देना नहीं रहा।

तेजस्वी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। तेजस्वी लगातार यह दावा करते आ रहे हैं कि एनडीए जनता से जुड़े मुद्दों को छोड़कर परिवारवाद और भ्रष्टाचार में ही लिप्त है।


मांझी का पलटवार: लालू परिवार को बताया ‘परिवारवादी पार्टी’ का पोस्टर ब्वॉय

जीतन राम मांझी ने तेजस्वी के बयान पर कड़ा जवाब देते हुए कहा, “लालू यादव का पूरा परिवार ही राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। एक परिवार के इतने सदस्य राजनीति में हैं, मानो राजद का नाम ‘राष्ट्रीय परिवार पार्टी’ होना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी को दूसरों पर उंगली उठाने से पहले खुद के घर में झांकना चाहिए। “जिस परिवार की पूरी राजनीति ही परिवारवाद और जातिवाद पर टिकी हो, उसे दूसरों को उपदेश देना शोभा नहीं देता,” मांझी ने जोड़ा।


राजनीति में तंज और पलटवार का दौर

बिहार की राजनीति में तंज और पलटवार का यह सिलसिला कोई नया नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं, नेताओं के बयान भी व्यक्तिगत और तीखे होते जाते हैं। जहां एक तरफ तेजस्वी NDA को भ्रष्टाचार और जातिवाद से जोड़ रहे हैं, वहीं NDA नेता उन्हें अनुभवहीन और अवसरवादी कहकर निशाना बना रहे हैं।


क्या कहते हैं जानकार?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयानबाज़ी आने वाले चुनाव की रणनीति का हिस्सा है। तेजस्वी जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि NDA की सरकार जनता की समस्याओं से कट चुकी है, वहीं NDA अपनी एकता दिखाकर राजद के परिवारवाद और कथित भ्रष्टाचार पर हमला कर रहा है।


निष्कर्ष

बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाने लगी है। एक ओर जहां तेजस्वी यादव अपने तंज से राजनीतिक संदेश देना चाहते हैं, वहीं जीतन राम मांझी जैसे अनुभवी नेता उन्हें उन्हीं के अंदाज में जवाब दे रहे हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनाव में जनता किसकी बात पर भरोसा करती है — तंज के तेवरों पर या विकास के वादों पर।

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